बुरी संगतसे परिवार बरबाद

Kesavjivan Dasji Bhuj Mandir - Pravachan at anjar

      हमें अपने आपको सदा सब प्रकार से सुरक्षित रखना चाहिएजैसे बिमरियों से दूर रहने के लिए हम गंदे, अपौष्टिक खुराकसे दूर रहते है, वैसे हि मुसीबतोसे दुर रहने के लिए हमें दुर्जनो से दुरी बनानी हि पडेगी, वरना ये लोग हमारा अच्छा जीवन समाप्त कर देते है

      आज हमे देखना है कि किस प्रकार के लोगोंसे और कैसे दुर रहना है। ये हम नहीं जानेंगे तो वे लोग हमारी सुखी जींदगीमें आग लगा देंगे।

      स्वामिनारायण भगवान और सबी बड़े महात्मा शास्त्रो के माध्यम से हमे कहते हैं कि सबसे पहले हमें कपट्टी और दुराचारी व्यक्तिको पहचानना चहिए और उसके संगमें कभी नहीं आना चाहिएदुराचारी लोग तो अपने आचरण से बदनामीके कारण जगविख्यात होते है, लेकिन कपट्टी लोगबडे शातीर और छूपे होते है, उन्हें पहचानने के लिए हमें उनके प्रत्येक व्यवहार पर नजर रखनी होती है, वे बहुत दिमागवाले होने से जल्दी पकडे नहीं जाते, इसलिये इनकी बातों मे आकार, सोच समजकर , किसी पवित्र सद्गुरु या पवित्र साधककी सलाह लेकर हमे आगे बढना चाहिए

      कहा जाता है कि धुतारे लोगो, उनके बाहरी व्यवहार और बाहरी कपडे देखकर , उन्हे नहीं पहचाना जा सकता है क्योंकि, स्वयं भगवान भी कहते है कि ये पाखंडी लोग सज्जनसा व्यवहार या दिखावा करके भोलेभाले लोगो को धोखा देते है

      हम जीवन मे किसी चोरऔर पापी जैसे लोगों को आसानी से पहचान सकते है, पर ये पाखंडी लोगोको पहचानना बडा मुश्किल होता है। पापी, व्यसनी और धुर्त जैसे लोगोंका हमे संग हो गया तो हमारी जींदगी बरबाद हो जाती है। आज कल हमे बहोत जगह पर ऐसे घटनाए दिखाई देती है कि अच्छे परिवारके युवान लड़के या लड़की, बुरे संगतके कारन बरबाद हो गए हो। परिवार भी बुरी संगतसे बरबाद हो जाता है। समय पर ऐसी घटनाओके बारेमें अवश्य देखेंगे।

      भगवान स्वामिनारयाण कहते है की यदि कोइ व्यक्ति कपटीका और व्यसनी, कामी, एसे व्यक्तिका संग करता है, तो अवश्य उनका असर उसमें होता है। जो जुआ खेलता है, या तंबाकु, दारु जैसे व्यसनोंका शिकार हो चुका है, एसे आदमीके संग से, संग करने वाले व्यक्ति का पुरा परिवारपतन को प्राप्त होता है क्योकि एसे लोग हमको भी एसे बुरे कामों मे प्रेरित करके हमारे सारे परिवार का पतन करा देते है, इसलिए दुर्जन लोगोंके बारे थोड़ा सा मालुम होने पर तुरंत हि एसे लोगो का त्याग करना उचित है

      आज कल भोले भाले लोग अन्य लोगोके विषयमें और अन्य मत या सिद्धांतके विषयमें अनजान होते हुए भी उसके पास जाकर माला पहन लेते है, हाथमें कोइ ताबिज, या गलेमें धागा पहना लेते है। परमात्मा स्वामिनारायण भगवान कहते हैं कि अनजान व्यक्तिके हाथ से कुछ भी बंधवाना नहीं चाहिए और उसके हाथ से जादुटोना के रुपमे कोइ धागा भी अपने हाथ पर नहीं बंधवाना चाहिए क्योंकि एसा करने से हमारी मुसीबत का तो कोइ हल नहीं निकलता, किंतु हम एक नई मुश्किल मे गिरते है

      जीवनमें परमात्मा श्रीकृष्णनारायणका धागा या तुलसी धारण करना है तो भगवानके प्रसादीभुत ही धारण करे और वह भी अपने माता पिता से और सिद्ध संप्रदायमें रहने वासे संत महात्मासे करे, ओर कुछ धारण करनेकी आवश्कता होती नहीं. अपने परंपरामें जो कुछ आता है, वह धारण करनेमें कोई दोष नहीं किन्तु जहां तहां जाकर, जो कुछ हो धारण कर ले, ये शास्त्र सहमत नहीं, क्योंकि परंपरा छोड़ देना अपने पैर पर कुठारघात होता है।

      सभामें स. पु.स्वामी केशवप्रसाददासजीने बहुत अच्छी बात कही थी कि जो व्यक्ति कामासक्त है, वह पुरुष हो या स्त्री, उसके संगसे भी हमारा पतन होता है। भगवान श्रीकृष्ण परमात्मा श्रीमद् भगवद गीतामें कहते हैं कि काम और कामी के संग से तो व्यक्ति अवश्य नरकगामी होता है क्योंकि काम तो नरकका द्वार है। इसलिए हमे तो स्वामिनारायण भगवानकी आज्ञामें रहना है, उससे जीवनमें और परिवारमें सुख होगा और शांति होगी।

      कामी व्यक्ति, हमें कभी अच्छी बाते नहीं बताता और भगवान की बाते भी नहीं बताता, परंतु जगकी मीठीमीठी बातें बताकर हमें अंधकार में धकेल देता है और नीच स्वार्थ सिद्ध कर लेता है। एक ओर बात हमें याद रखनि है की जो लोग राष्ट्र विरोधी क्रियाए करते है या अपने वैदिक धर्मविरुद्ध्बाते या काम करते है, वे अंत में खुद तो दुखी होते है, पर दुसरे लोगको भी दुःखी कर देते हैं। धर्मविरुद्ध और राष्ट्र विरुध कार्य कलाप फैलाने वाले लोकोंके संगसे अपना पतन होता है और अपनी बरबादी होती है।

      इसलिए एसे लोगो के साथ रहें जो धर्मिष्ट हो, सत्संगी हो, राष्ट्रप्रेमी हो, बुरे व्यसनसे दूर हो तो उनके संगसे हमारा परम कल्याण सहजता से हो जाएगा। बुरे लोगोंसे तो दुर रहने में हमारा अच्छा होता है

 

      स्वामिनारायण भगवान बहोत अच्छे तरीकेसे कहा है कि हमें अपने जिवनमें दुर्जन, कपटी, व्यसनी जैसे लोगो के साथ रहना ही नहीं।

      जो किसी तरक्की से लोगों को गते है, समाज में किसी भी तरिकेसे चोरी का काम करते है, किसी प्रकार का ढोग या पाखंड रचके लोगो के साथ धोखा करते है, या धर्म या राजधर्म के नाम से भी लोगो को धोखा देते हैएसे लोगो को हमे विश्वास भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये लोगहमारे भोलेपनका फ़ायदा अवश्य उठा लेते हैं।

      हमें भगवान स्वामिनारायण के ये बाते जीवनमें लीख लेनी चाहिए कि चोर, पापी, व्यसनी, नशेबाज, पाखंडी, कामी और विविध तरकीबे करके लोगो को बरगलाकर ठगते है, एसे लोगों का संग करना ही नहीं। यह बात जीवनमें रखनेवाले संसारमें सुखी रह सकता है और स्वामिनारायण भगवानका भजन करते हुए देहांतके बाद परलोकमें भी परमसुख प्राप्त कर सकता है।

લેખક  – મનીષ ગોર  એમ. એ.- બેડ – (અંગ્રેજી)

।। अस्तु ।।

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મનીષ ગોર - M.A. (B.Ed) with English
मनीष धनसुखलाल गोर, का कच्छके प्रसिद्ध शहर भुजमें निवासस्थान है। इंगलिसमें एमए वीथ बीएड तक अध्ययन कीया है। अंजार शहरमें विवेकानंद माध्यमिक और उच्चमाध्यमिक शाळामें दश वर्ष अध्यापन करवाया है। अधुना भुजमें माध्यमिक और उच्चमाध्यमिक शाळामें अध्यापन करवाते है। समय समय पर माध्यमिख शाळाओंके शिक्षकोंको तालिम देनेमें बड़ा सहयोग दीया है। शाळाओकें सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या अन्य विद्यार्थिओंके हितलक्षी कार्यक्रम हो, तो उसमें प्रायः बहुत कार्यक्रममें सफल संचालन कीया है। युवावर्गके हित लक्षी प्रेरक वार्तांए लिखना, धर्मविषयक बोधकथा करना, प्रवचन देना और श्रीमद् भागवत जैसे पुराण ग्रंथोना अध्ययन करना अपना प्रिय विषय रहा है। पारिवारिक सबंधको कैसे निभाया जाय और संयुक्त परिवारमें रहनेसे क्या क्या लाभ होता है, उस विषयमें बहुत बार सटीक प्रवचन दीया है। श्रीमद् भगवद् पाद रामानुजाचार्यकृत श्रीमद् भगवद् गीताका हिन्दी अनुवादीत शास्त्रका और अन्य धर्मशास्त्रका मन लगाकर अभ्यास कीया है।

2 COMMENTS

  1. બહુ સુંદર લેખ અને રજુઆત સાથે એકદમ સાચી વાત કહી.
    જય શ્રી સ્વામિનારાયણ🙏

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