अक्षरभुवन निर्माणमें सनातन स्वामी और ज्ञानस्वरूप स्वामीने बहुत पुरुषार्थ किया।

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कच्छ भुज स्वामिनारायण मंदिरमें अक्षरभुवनका निर्माण होनेके बाद स्वामिनारायण भगवानके प्रसादरूप वस्त्र, पात्र, प्रतिमा, चरणार्विंद आदि अनेक पदार्थका यथार्थ स्थान पर स्थापन करनेमें सनातन स्वामी और ज्ञानस्वरूप स्वामीने बहुत पुरुषार्थ किया था। महंत स. शास्त्री स्वामी धर्मजीवनदासजीने ईन दो संतोंको नियुक्त किया था। अक्षरभुवनके उद्घाटनमें यज्ञका आयोजन हुआ किन्तु सरकार द्वारा सं.२०१७में धानका प्रतिबंध होने के कारण खीचडीमें सांवका उपयोग किया गया, चमत्कार यह हुआ कि भगवानकी कृपासे सांवसे बनाई खीचडी सभी भक्तोंको बहुत स्वादिष्ट लगी थी। सांवकी किल्लत बिलतुल नहीं हुई। सत्संगका यही तो महत्व है कि स्वयं स्वामिनारायण भगवान अपना और अपने भक्तका सभी काम पूर्ण कर देते हैं। अक्षरभुवन निर्माणमें सनातन स्वामी और ज्ञानस्वरूप स्वामीने बहुत पुरुषार्थ किया।