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मनीष धनसुखलाल गोर, का कच्छके प्रसिद्ध शहर भुजमें निवासस्थान है। इंगलिसमें एमए वीथ बीएड तक अध्ययन कीया है। अंजार शहरमें विवेकानंद माध्यमिक और उच्चमाध्यमिक शाळामें दश वर्ष अध्यापन करवाया है। अधुना भुजमें माध्यमिक और उच्चमाध्यमिक शाळामें अध्यापन करवाते है। समय समय पर माध्यमिख शाळाओंके शिक्षकोंको तालिम देनेमें बड़ा सहयोग दीया है। शाळाओकें सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या अन्य विद्यार्थिओंके हितलक्षी कार्यक्रम हो, तो उसमें प्रायः बहुत कार्यक्रममें सफल संचालन कीया है।
युवावर्गके हित लक्षी प्रेरक वार्तांए लिखना, धर्मविषयक बोधकथा करना, प्रवचन देना और श्रीमद् भागवत जैसे पुराण ग्रंथोना अध्ययन करना अपना प्रिय विषय रहा है। पारिवारिक सबंधको कैसे निभाया जाय और संयुक्त परिवारमें रहनेसे क्या क्या लाभ होता है, उस विषयमें बहुत बार सटीक प्रवचन दीया है।
श्रीमद् भगवद् पाद रामानुजाचार्यकृत श्रीमद् भगवद् गीताका हिन्दी अनुवादीत शास्त्रका और अन्य धर्मशास्त्रका मन लगाकर अभ्यास कीया है।